Monthly Archives: July 2012

Listen to song penned by Deepak Dengle, sung by Sagar Gorkhe -झोपड़ पट्टी रे

Standard

Kabir Kala Manch Members, have been born and bought up in slums, and this song reverberates their experience and understanding on the issue of  labour, poverty and politics.

Poet- Deepak Dengle

Singer- Sagar Gorkhe

झोपड़ पट्टी रे -२
हे अँगरेज़ आया मशीन लाया
मिल बनाया –झोपड़ पट्टी
चमार, गुनकर ,लोहार ,मेह्कार
सब समाया — झोपड़  पट्टी

सारी  दुनिया को ऊंचा उठा के
मजदूर रह लिया —झोपड़  पट्टी

झोपड़ पट्टी रे -२
बाम्बू , चटाई ,पत्र ,लकड़ी ,ऊपर प्लास्टिक
बन गयी झोपड़ी
रेलवे लाइन , बाजू  में वाइन
कैसे भी तो ढक गयी खोपड़ी
अपनी भाषा , कल्चर बनईके
बढ़ती  चल रही ,– झोपड़  पट्टी
झोपड़ पट्टी रे -२

सब है  दादा , सब है  भाई
लफड़ा, झगडा , यह मार कुटाई
दारू, गांजा , पनी मास्टर
भूखे बच्चे , रोती लुघाई
घर घर मान्य देसी शहर में
डूबती चल रही झोपड़ पट्टी

कामगार और किसानों के दम पर
आज़ादी के उड़े कबूतर
वोह राजा  के आया  काला
टूटा वोह सपनों का मंज़र
पांच  सालों में चुना लगा गए
देखती रह गयी झोपड़ पट्टी

झोपड़ पट्टी रे -२

LISTEN BELOW THE THUNDERING SONG

Kabir Kala Manch members sing a slum dweller song

यादों में फड़फड़ाता है लाल माथे पर एक नीला रिबन

Standard

Posted by Reyaz-ul-haque on 7/15/2012 06:39:00 PM

दलित, अल्पसंख्यक बस्तियों से गुजरती हुई नीले परों वाली एक लाल चिड़िया की याद आती है आज के दिन. सुनसान सड़कों पर उभरते जुलूस की शक्ल और तनी हुई मुट्ठियों का कोरस याद आता है. नजरों में फिर जाती है राजधानियों की कत्लगाहों की बेचारगियां और हवा में कारतूस की गंध. यादों में फड़फड़ाता है लाल माथे पर एक नीला रिबन.

विलास घोगरे. आप जानते हैं उन्हें.

आज से पंद्रह साल पहले मुंबई में भूमिहीन दलित, आदिवासी जनता के क्रांतिकारी गायक विलास घोगरे ने आत्महत्या कर ली थी. घोगरे ने भारतीय समाज के अर्धसामंती और अर्धऔपनिवेशिक शोषण में पिसते किसान मजदूर जनता के दुखों की कहानी ही नहीं कही, उसके बहादुराना संघर्ष की बेमिसाल दास्तान भी गाई है. और इस तरह गाई है कि इनको अलग-अलग नहीं किया जा सकता. घोगरे के यहां जहां भी दुख है, तकलीफ है, पीड़ा है, शोषण और उत्पीड़न है, वहां इसके खिलाफ संघर्ष भी है, निरंतर संघर्ष, राजनीतिक और कांतिकारी संघर्ष. वे शोषण और उत्पीड़न को बनाए रखने की एक प्रणाली के रूप में संसद और संसदीय चुनावों के अंतर्निहित जनविरोधी चरित्र को समझते हैं और इसको ध्वस्त करके समाज के क्रांतिकारी रूपांतरण का आह्वान करते हैं. वे सत्ता पर दलितों, आदिवासियों, भूमिहीन किसानों और मजदूरों का अधिकार चाहते हैं. घोगरे आह्वान से जुड़े हुए थे और उनका व्यापक सांस्कृतिक-राजनीतिक जुड़ाव गदर के नेतृत्व में चले सांस्कृतिक आंदोलन तथा देश के दूसरे इलाकों के क्रांतिकारी सांस्कृतिक परंपराओं से था. उन्होंने चुनाव और संसद के फंदे में जा फंसे बेईमान वामपंथी दलों के असली चरित्र को भी जनता के सामने रखा.

1997 में 11 जुलाई को जब मुंबई के घाटकोपर में दलितों-मुसलिमों की बस्ती रमाबाई नगर में बाबा साहेब की प्रतिमा का अपमान किए जाने के खिलाफ आक्रोशित दलितों पर पुलिस ने फायरिंग की और दस से अधिक लोग शहीद हुए, तो उसी बस्ती में रहने और राजनीतिक काम करने वाले घोगरे इस वेदना को बरदाश्त नहीं कर पाए. उन्होंने 15 जुलाई को आत्महत्या कर ली.

यहां उनको याद करते हुए उनके कुछ मशहूर गीत प्रस्तुत हैं. घोगरे को आज के समय में याद करने का मतलब उन सारे संस्कृतिकर्मियों, लेखकों, पत्रकारों की हिमायत में उठ खड़े होना है, जो घोगरे की जनपक्षधर क्रांतिकारी गतिविधियों के राजनीतिक हमसफर हैं. घोगरे को याद करने का मतलब सुधीर ढवले, सीमा आजाद, विश्वविजय, अभिज्ञान सरकार, देबोलीना, कबीर कला मंच के साथियों, उत्पल और दूसरे दर्जनों कार्यकर्ताओं की हिमायत में अपनी आवाज बुलंद करना है, जो दलित, आदिवासी जनता के संघर्षों का साथ देने और सत्ता प्रतिष्ठानों का विरोध करने की वजह से अलग-अलग जगहों पर जेलों में बंद हैं.

हाल ही में फिल्मकार आनंद पटवर्धन ने जय भीम कॉमरेड  के नाम से एक लंबी फिल्म बनाई है, जो विलास घोगरे को याद करते हुए, उनको केंद्र में रखते हुए भारत के राजनीतिक और सांस्कृतिक दलित आंदोलनों के विभिन्न आयामों का जायजा लेती है. इसे जरूर देखा जाना चाहिए. डीवीडी के रूप में यह फिल्म उपलब्ध है और इसे हासिल करने के तरीके के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें. घोगरे को याद करते हुए हेई पी. न्यूटन द्वारा क्रांतिकारी आत्महत्या  पर लिखा गया यह लेख भी पढ़ें.

ये आजादी झूठी है

ये आजादी झूठी है

ये आजादी झूठी है

लुटेरों की चांदी है

ये आजादी झूठी है

लुटेरों की चांदी है

साथियो लूट को मिटाना है

साथियो जुल्म को मिटाना है

रोटी है तो सब्जी नहीं

सब्जी है तो रोटी नहीं……..

 

contd…

 

Read more here  http://hashiya.blogspot.in/2012/07/blog-post_2084.html